एक स्वाभाविक केंद्रबिंदु आपकी सांस है, जो हमेशा आपके साथ रहती है | अगर आप सहजतासे सिर्फ़ अपनी अन्दर आती हुई और बाहर जाती हुई सांस को महसूस करते रहें, तो मन शांत और स्थिर हो जाता है |
सिर्फ़ एक परेशानी है, हमारा ध्यान भटक जाता है, जैसे कि कोई शोर …..या फिर घुटने का दर्द …..मगर अक्सर आपका मन ही एक समस्या है, जिस में कबाड़ भरा पड़ा है | मन बन्दर की तरह इधर उधर कूदता है, उस पर काबू पाना, बहुत मुश्किल काम है |
अपने मन का मालिक बनने के लिए आपको चाहिए सही मार्गदर्शन, पर्याप्त समय और अभ्यास सीखने के लिए उपयुक्त स्थान |
ध्यान के पर्याप्त अभ्यास से हमारा मन दुखी न होकर, सुखी (सुखमय) विचारों से भर उठता है | ध्यान के पर्याप्त अभ्यास से, दुखद के बदले सुखद विचार और भावनाएँ बदलने में मदत होती है | (अधिक जानकारी के लिए ध्यान ही क्यों ? देखें)
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