किशोर / किशोरियों के आनापान शिविर के लिए आचार संहिता

आनापान ध्यान साधना का अभ्यास करना बहुत मूल्यवान है क्योंकि यह आपको बेहतर इंसान बनने में मदद करता है | आनापान साधना का अभ्यास करनेसे आप अपने मनको ऐसी ट्रेनिंग दे सकोगे जिससे वह एकाग्र और शांत रहेगा | यह मानसिक बल आपको सुखी और पहले से ज्यादा शान्ति महसूस करने में सहायक होगा | आनापान के अभ्यास एवं एकाग्रता सीखने से आपको अपने मन के मालिक बनने में मदद होगी |

आनापान साधना सफलतापूर्वक सीखने के लिए यह आवश्यक है कि आप शिविर के दौरान दिए जा रहे निर्देशों का बहुत अच्छे से अनुसरण करें और शिविर में नीचे लिखी गई आचार संहिता का पालन करें |जिस तरह एक घर को खड़े रहने के लिए मज़बूत नींव की जरूरत होती है,उसी तरह आनापान के अभ्यास के लिए मजबूत नींव आवश्यक है | यह अच्छी नींव आचार संहिता का पालन करने से बनती है |यह आपको ऐसे कार्यों से जो आपके अथवा दूसरों के लिए हानिकारक हैं, बचने के लिए मानसिक बल प्रदान करती है |

शिविर के दौरान पहले सत्र में आपको निम्न पाँच व्रतों को दोहराने को कहा जाएगा | इन्हें बड़े शब्दों में लिखा गया है एवं प्रत्येक के नीचे उसका विवरण है |कृपया इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें ताकि समय आने पर आप समझ कर बोलें |

शील (व्रत)

लिंग पृथक्करण

seperate

तस्वीर: गुजरात, भारत में किशोर / किशोरियों के शिविर

पूरे शिविर के दौरान लड़के एवं लड़कियों को पृथक पृथक रहना होगा |

आवेदन पत्र के अंत में आप एक प्रश्न पायेंगे जो आपसे पूछेगा कि क्या पूरे शिविर के दौरान आप इस आचार संहिता का पालन करने को तैयार हैं | नीचे आपके हस्ताक्षर करने की जगह है | यदि आप हस्ताक्षर करते हैं, इसका मतलब आप आचार संहिता का पालन करने की कोशिश करेंगे |

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