ध्यान कक्ष इंग्लैंड विपश्यना केंद्र
शिविर आवासीय या गैर-आवासीय हो सकते हैं | वे दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर गैर-लाभकारी विपश्यना संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते हैं | वे अवधि और आयु सीमा में भी भिन्न होते हैं | देखें [ ८-१२ वर्ष आयु के बच्चों के लिए शिविर और किशोरों के लिए शिविर].
गैर आवासीय शिविर जो विपश्यना केन्द्रों या किराए के स्थानों पर होते हैं वे लगभग हमेशा एक दिन के होते हैं | अक्सर भोजन प्रदान किया जाता है लेकिन कभी-कभी साधकों को दोपहर का भोजन स्वयं लाने के लिए कहा जाता है | कभी-कभी कुछ पाठशालाओ में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होता है और साधक रात के लिए घर जाते हैं |
आवासीय आनापान शिविर २ या ३ दिन के लिए होते हैं जहाँ भोजन प्रदान किया जाता है | साधकों को शिविर की संपूर्ण अवधि के लिए शिविर परिसर के भीतर ही रहना होता है | उनसे ये अपेक्षित है कि वे उस अवधि के लिए हर प्रकार की धार्मिक प्रथाओं या अन्य विषयों से दूर रहेंगे | लड़कों और लड़कियों को ध्यान कक्ष में और अन्य गतिविधियों के लिए अलग रखा जाता है | उनके अलग आवास अथवा शयनकक्ष अलग होते हैं | अधिकांश केंद्रों में एक सुखद वातावरण होता है और व्यायाम के रूप में पैदल चलने के क्षेत्र सुनिश्चित होते हैं |
जर्मनी विपश्यना केंद्र में बच्चों का शिविर
विभिन्न संस्थाएँ आनापान शिविरों का आयोजन कर सकती हैं | जैसे पाठशाला, अनाथालय, विकलांग बालक गृह, किशोर सुधार गृह आदि में, उनके अनुरोध पर और बच्चों के लाभ के लिए कुछ औपचारिकताओं के साथ ये शिविर आयोजित किए जाते हैं | ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे प्रत्येक दिन १०-१५ मिनट की छोटी अवधि के लिए बच्चों को आनापान अभ्यास करने का अवसर दे |
प्रशिक्षित बाल शिविर शिक्षक, ध्यान अवधि पर निगरानी रखते हैं और प्रत्येक छात्र की समझ जांचते हैं | अन्य वयस्क मददगारों को, बाकी गतिविधियों के दौरान, बच्चों के छोटे समूह सौंपे जाते हैं | इस समय पढ़ने, चित्रकारी, खेल आदि के लिए सामग्री आम तौर पर प्रदान की जाती है |
दक्षिण अफ्रीका में गतिविधियों का समय
सभी शिविर स्वेच्छा से दिए गए दान के आधार पर पूरी तरह से चलाए जा रहे हैं | इन शिविरों का कोई शुल्क नहीं है, क्योंकि यह पुराने साधक, जिन्होंने कम से कम एक शिविर पूर्ण किया है और इस साधना से लाभ उठाया है, उनके दान पर चलते है | पुराने साधकों को जिस तरह लाभ मिला उसी तरह उनके दान से आगे आनेवाले साधकों को लाभ मिले, इसी भाव से |
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