विश्वव्यापी सामाजिक परिवर्तन और उथल-पुथल के समय, दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग विपश्यना ध्यान के अभ्यास के माध्यम से एकाग्रता, मन का शुद्धिकरण और मन की शांति का प्रयास कर रहे हैं |
विपश्यना का अर्थ है "जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना" | यह आत्म-अवलोकन के माध्यम से मानसिक शुद्धि की एक तर्कसंगत प्रक्रिया है| बहुत से लोग अपने जीवन के अंतिम चरण में विपश्यना सीखने आते हैं, तब उनको महसूस होता है कि काश वे इस साधना को पहले सीख लेते, क्योंकि यह शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्वक तरीके से जीवन जीने की प्रभावी कला है |
इस मानसिक प्रशिक्षण के पहले चरण की शुरुआत करने के लिए आदर्श समय बचपन ही है, क्योंकि आठ साल की उम्र के बच्चे आनापान ध्यान की तकनीक आसानी से सीख सकते हैं | विपश्यना ध्यान के अभ्यास में आनापान पहला कदम है | यह प्राकृतिक, स्वाभाविक सांस, जैसे भी वह आ रही है और जैसे भी जा रही है, उसका निरीक्षण करना है | आनापान एक सरल तकनीक है जो मन की एकाग्रता को विकसित करने में मदद करती है | यह सीखने में आसान, वस्तुनिष्ठ और वैज्ञानिक है | सांस का निरीक्षण ध्यान के लिए सर्वोत्तम है क्योंकि सांस हमेशा उपलब्ध है, और यह पूरी तरह से गैर-सांप्रदायिक है | आनापान ध्यान, अन्य सांस के नियंत्रण पर आधारित तकनीकों से बहुत अलग है | आनापान के अभ्यास या प्रस्तुति में कोई संस्कार या अनुष्ठान शामिल नहीं हैं | यह एक गैर-सांप्रदायिक रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे यह पूरे विश्वभर के स्कूल में बच्चों को सिखाने के लिए सर्वोत्तम है | यह पद्धति भगवान बुद्ध, जिन्होंने २६०० वर्ष पूर्व फिर से इसकी खोज की और इस तकनीक को सिखाया, से जुड़ी है | बुद्ध ने कभी भी एक सांप्रदायिक धर्म नहीं सिखाया; उन्होंने धर्म - मुक्ति का रास्ता सिखाया, जो सार्वभौमिक है | इस कारण से, दुनिया की हर पार्श्वभूमी के, सभी धर्मों के अथवा कोई धर्म न मानने वाले, सभीलोगों को इसका गहरा आकर्षण है |
यह छोटा आनापान सत्र परिचयात्मक है और इसका उपयोग आप विपश्यना साधना की दिशा में पहले कदम की तरह कर सकते है| इसकी रिकॉर्डिंग चलाने के लिये लघु आनापान क्लिक करें
बच्चों को शांत करने और उनके मन को एकाग्र करने में मदद करने के अलावा, आनापान बच्चों को अपने मन और स्वयं को बेहतर समझने में मदद करता है | जैसे ही वे अपने मन को शांत और एकाग्र करना सीखते हैं, वे अपने आवेगों और कृतियों पर प्रभुत्व प्राप्त करते हैं | वे एक आंतरिक शक्ति विकसित करते हैं जो गलत कृतियों के बजाय सही और उचित कारवाई करने में मदद करती है | यह इस तकनीक का एक स्वाभाविक प्रतिफल है | इस तरह से, आनापान उन्हें भय, चिंताओं और बचपन एवं किशोरावस्था के दबाव से निपटने का एक साधन प्रदान करता है | इसकी सरलता के कारण, वे इस तकनीक को, अभ्यास करने और समझने में आसान पाते हैं और वे इसके वैज्ञानिक और सार्वभौमिक स्वरुप की कद्र करते हैं |
पिछले २० वर्षों में, दुनिया भर के बच्चों के लिए, हजारों आनापान शिविर संचालित किए गए हैं | इन शिविरों ने उन हजारों बच्चों को काफी लाभ दिया है, जिन्होंने इन शिविरों में भाग लिया | उनमें से कई ने अपने दृष्टिकोण, व्यवहार और नज़रिये में सकारात्मक बदलाव का अनुभव किया है | उनकी एकाग्रता और याददाश्त भी मजबूत हुई है | और सब से महत्वपूर्ण, इन बच्चों ने एक साधन हासिल किया है जो उनके भावी जीवन के लिए बहुत मूल्यवान साबित होगा |
बच्चे स्वभाव से ही, सक्रिय और उत्साही होते हैं, सीखने और छान-बीन करने की उत्सुकता के साथ | इसी कारण उन्हें स्वयं का और उनके मन का, सभी छिपे हुए गुणों, अव्यक्त क्षमताओं और सूक्ष्म जटिलताओं के साथ, पता लगाने का अवसर प्रदान करना जरूरी है | आनापान सीखने के बाद आत्मनिरीक्षण और ध्यान में एक हितकारी रुचि आती है, जो बाद में उनके जीवन का एक पूरी तरह से नया आयाम खोल सकती है |
शिविर आयु सीमा के अनुसार वर्गीकृत किये जाते हैं | बाल शिविर ८ से १२ साल की उम्र के बच्चों के लिए है | युवाओं का शिविर १३ से १६ साल की आयु के किशोर किशोरियों के लिए है | कभी कभी अगर छात्रों की संख्या अगर कम है, तो दोनों समूह एकत्र किये जाते हैं | कुछ शिविरों में १८ साल तक के छात्रों को भर्ती कराया जाता है | शिविर एक से तीन दिन के होते हैं | पालक या अभिभावक जिन्होंने एस. एन. गोयन्का जी या उनके सहायक आचार्यों के साथ दस दिवसीय शिविर पूरा किया है, शिविर के खत्म होने तक केंद्र में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है | वे बच्चों की तुलना में ध्यान के एक अलग कार्यक्रम का अनुसरण कर सकते हैं और स्वयंसेवक बनने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं | अन्य पालक और अभिभावक, जो अपने बच्चों को छोड़ने आए हैं, उनका पंजीकरण के दौरान स्वागत है, पर उसके बाद शिविर समाप्त होने तक उन्हें केंद्र छोड़ कर जाना पड़ता है |
शिविर के दौरान, एस. एन. गोयन्का जी द्वारा ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से ध्यान निर्देश दिए जाते हैं | इसके अलावा, नमूना समय सारिणी में दिखाए अनुसार शारीरिक और रचनात्मक गतिविधियां होती हैं | किशोरों के पाठ्यक्रमों में ध्यान की अवधि लंबी हो सकती है | इन सभी शिविरों में, भाग लेने वाले बच्चों के समूहों को सहायकों की निगरानी में रखा जाता है, जो शिविर के दौरान उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं |
साउथ आफ्रिका से तस्वीरें
मित्र उपक्रम भारत में स्कूली बच्चों के संपूर्ण मानसिक विकास को बढावा देने के लिए विपश्यना अनुसंधान संस्थान (वीआरआई) के सहयोग से महाराष्ट्र राज्य सरकार की एक पहल है। मित्र (MITRA या माइंड इन ट्रेनिंग फॉर राइट अवेयरनेस) का मतलब यह बच्चों का दोस्त होगा | मित्र उपक्रम के तहत, वीआरआई के समन्वय से एक स्कूल अपने छात्रों को श्री एस.एन. गोयनका के ऑडियो/वीडियो निर्देशों के माध्यम से ७० मिनट का आनापान का प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की व्यवस्था करता है। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद, स्कूली बच्चे प्रतिदिन दो बार १० मिनट के लिए इस तकनीक का अभ्यास करते हैं - अपनी पहली कक्षा से पहले, और अपनी आखिरी कक्षा के बाद। भारत में MITRA परियोजनाओं के तहत, शालेय शिक्षकों को १० -दिवसीय विपश्यना पाठ्यक्रमों में भाग लेने के लिए सवैतनिक अवकाश मिलता है। उन्हीं ७० मिनट की रिकॉर्डिंग का उपयोग करके अन्य एशियाई देशों में भी कुछ इसी तरह के कार्यक्रम चलाए गए हैं।
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