मेरी समझ में मेरे लिए ये दो दिन सबसे फायदेमंद दिनों में से रहे हैं | शुरू में जब मैंने समय सारिणी देखी कि सिर्फ़ दो दिन में दस सत्र हैं, तो मुझे लगा कि मैं कैसे सभी सत्रों में बैठ पाऊंगी | मगर मैंने पाया कि मैं ध्यान कक्ष में पंद्रह मिनिट पहले आ रही थी और चुपचाप ध्यान कर रही थी |
- अमू (कक्षा ग्यारहवी )
जब मैने पहली बार आनापान किया, मुझे बड़ा उबाऊ लगा | लेकिन जब मुझे अपने आप में बदलाव महसूस हुआ, मुझे यह बहुत अच्छा लगने लगा | आनापान बहुत अच्छा एवं दिलचस्प है | यह बहुत मुश्किल है, किन्तु असंभव नहीं | शुरू में कुछ दर्द अनुभव होते हैं, मगर जैसे हम अभ्यास बढ़ाते हैं, दर्द कम होता जाता है और ध्यान आरामसे होने लगता है | इससे हमारा आत्मविश्वास बढता है एवं ग़ुस्सा तथा झूठ बोलना कम होता है | आख़िर में मैं कहूँगी, सभी को आनापान करना चाहिए और सुखी रहना चाहिए |
- पूजा मंत्री ( कक्षा आठवी)
एक महीने की आनापान साधना के अनुभव के पश्चात::
अनुभवसे ही विश्वास पैदा होता है | मेरे अपने अनुभव के बल पर मैं ईमानदारी से कह सकती हूँ कि मैं पहले से शान्त हो गई हूँ, मेरे आस पास रहने वाले भी ऐसा ही महसूस करते हैं | एक महीना लम्बा समय होता है और मैं भी उतार चढ़ावों से गुज़री हूं, लेकिन आनापान के दैनिक अभ्यास के कारण मैं अपना संतुलन तुरन्त बना पाती हूँ |
- लक्ष्मी नाईक
अब मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं अपनी पढ़ाई ज़्यादा एकाग्रता से कर सकूँगी और यदि मेरा मन भटक जाएगा तो जल्दी से जल्दी वापस पढ़ने पर ला पाऊँगी |
- गौतमी (कक्षा दसवीं )
मुझे लगता है इस शिविर में शामिल हो कर मैंने बहुत अच्छा काम किया है | मैंने कभी नहीं सोचा था कि शिविर में सम्मिलित होने से मेरे विचारों में परिवर्तन आ जाएगा | अब मैं अच्छे और बुरे में फर्क कर पाती हूँ और मैंने मन को अपने वश में करना सीखा है | अब तो मैं दस दिन का शिविर करना चाहती हूँ |
- चोडुप तेनजिंग (कक्षा नौवमीं)
सच बताऊं तो आनापान शिविर करने के नाम से ही मुझे हंसी आ रही थी | मैंने सोचा कि यह शिविर तकलीफ़देह होगा एवं समय और ऊर्जा दोनों व्यर्थ में बर्बाद होंगे | लेकिन जब शिविर शुरू हुआ तो मैंने महसूस किया कि मैं ग़लत थी | यह ध्यान शिविर मेरे लिए बिलकुल नया था और मुझे इसके मूलतत्त्व की जानकारी नहीं थी | यह वो माध्यम है जिसके द्वारा हम अपनी ऊर्जा के स्त्रोतों को बढ़ा सकते हैं | यह मानसिक ही नहीं अपितु शारीरिक शक्ति भी देता है | जब हम विद्यार्थी होते हैं, हमारा मन हमेशा पढ़ाई एवं भविष्य की चिन्ता, फ़िक्र, घबराहट को लेकर निराशा से ग्रस्त रहता है | किशोर होने के कारण हम हमेशा उत्तेजित रहते हैं, इसलिए हमें रोज़ दो बार १५-२० मिनिट ध्यान करना चाहिए | यह हमें पढ़ाई में एकाग्र होने में सहायक होगा जिससे हम अपने जीवन के सभी उद्देश्यों को प्राप्त करनें में सफल होंगे |
आनापान एक तकनीक है, जो मुझे लगता है, युवा मन को सही दिशा में मार्गदर्शन करने में बहुत मददगार है |
- नाज़िया अबेदीन (कक्षा ग्यारहवीं)
मेरा बिखरा हुआ मन-मलेशिया के एक विद्यार्थी का आत्म चिंतन
मलेशिया में वृक्षारोपण
अब मैं जो काम करता हूँ, उसे ज़्यादा एकाग्रतापूर्वक कर पाता हूँ और पहले से कम विचलित होता हूँ |
- एक किशोर, सिंगापुर से
मेरी एकाग्रता का स्तर बढ़ गया है और मैं अपने ग़ुस्से पर कुछ हद तक नियंत्रण कर
पाती हूँ |
- सागरिका, सिंगापुर
मैने अपना पहला आनापान शिविर धम्मजोति, यांगों में सन २००० में किया था, जब मैं आठ साल का था | तब से मैं चार, तीन दिवसीय एवं ग्यारह एक दिवसीय शिविर कर
चुका हूँ |
मुझे यह अद्भुत तकनीक पसंद है | इसने मुझे प्रकृति के सौन्दर्य से अवगत कराया | इसे जानने से पहले मेरा मन हमेशा अपने भविष्य को लेकर विचारों से भरा रहता था | तनाव, चिन्ता, ग़ुस्से और डर से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों का अब मैं ज़्यादा विश्वासपूर्वक एवं संकल्प से सामना कर सकता हूँ | मैं सोने से पहले हमेशा आनापान करता हूँ और हर सुबह नाश्ते से पहले मेरे पापा, मम्मी और मैं खाने की मेज़ पर बैठे आनापान करते हैं | एक साल, रोज़ाना १५-२० मिनिट के आनापान के दैनिक अभ्यास से मेरे स्वभाव एवं रवैये को बदलने में मदद मिली है | इससे पहले मेरी एकाग्रता बहुत ख़राब थी | अब मुझे महसूस होता है कि मेरी एकाग्रता बढ़ गई है |
आनापान मन को नियंत्रित करने की सर्वोत्तम तकनीक है | मेरी उम्र के लड़के बड़ी आसानी से ग़लत संगत से प्रभावित हो कर बिगड़ सकते हैं | यह हमें सही राह पर रखता है | आनापान एक बहुत बढ़िया विधि है, जिसके द्वारा हर कोई व्यक्ति अपनी प्रतिभा एवं काबिलियत निखार सकता है | इसकी मदद से मैं स्कूल में तैरने की प्रतियोगिता में पहले एवं दूसरे नम्बर पर आ पाया हूँ |
मैं गोयन्काजी, सभी बाल शिविर शिक्षकों एवं अपने माता पिता का आभारी हूँ | मुझे लगता है सभी को आनापान करना चाहिए एवं सुख पूर्वक रहना चाहिए |
- वाइ यैन पोन पैंग
सृजनात्मक क्रिया, युवा शिविर धम्म जोती , यांगों
मैनें अपना पहला बाल शिविर अपनी माँ की प्रेरणा से किया, जब मैं सिर्फ आठ साल का था | मेरे पहले शिविर के अनुभव इतने प्रभावशाली थे कि मैं क़रीब १३ बाल शिविरों में बैठ चुका हूँ | इसने मेरे सोचने के तरीक़े को बिलकुल बदल दिया | जैसे मेरे आत्मविश्वास का स्तर और पढ़ाई में मेरी एकाग्रता बढ़ी | मैंने दूसरों की भावनाओं का लिहाज और लोगों को मदद करना सीखा |
सोलह वर्ष की उम्र में मैं जब आनापान शिविर में गया तो बाल शिक्षक ने मुझे स्वंय सेवकों की मदद करने को कहा | आधे घन्टे के आनापान ध्यान के दौरान मुझे कुछ अप्रत्याशित संवेदनाएँ महसूस हुईं | पहले तो मैं चौंक गया फिर शिक्षक को जानकारी दी | शिक्षक ने मुझे दस दिवसीय विपश्यना शिविर करने की सलाह दी | मेरे माता पिता और मेरी बहन ने भी मुझे दस दिवसीय शिविर करने के लिए प्रोत्साहित किया | मेरी बहन और कुल मिला कर आठ दोस्त जो सभी २० साल से छोटे थे, दस दिवसीय शिविर में बैठे | शिविर में ध्यान के दौरान मेरा स्वंय का अनुभव इतना असाधारण रहा कि मैं संवेदनाओं के अनुभव को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता | सहायक आचार्य ने भी प्रोत्साहित करके मेरी मदद की | अंत में मेरे परिणाम संतोष जनक थे |
अब पढ़ाई में मेरी एकाग्रता बेहतर है और मैं व्यापार में अपने पिताजी की मदद भी करता हूँ | मैने अभी अपना जी.सी. ‘ओ’ लेवल- ४ विषयों में 'ए' स्तर एवं दो विषयों में 'बी' स्तर से पास किया है |
भविष्य में मैं पूरी कोशिश करूँगा कि कम से कम साल में एक बार दस दिवसीय शिविर ज़रूर करूँ और अपने ख़ास मित्रों को भी इस शिविर में बैठने के लिए प्रोत्साहित
करूँगा | मैं अपने सभी शिक्षकों का दिल से आभारी हूँ |
- नितेश वर्मा
लड़कियाँ अपना अनुभव लिखती हुईं
मैंने सोलह वर्ष की उम्र में ध्यान करना शुरू किया | शुरुआतमें बच्चों के लिए सिर्फ एक दिवसीय बाल शिविर ही थे | अभी जैसे तीन दिवसीय शिविर होते हैं वैसे नहीं थे | एक दिवसीय शिविर में बच्चों को उम्र के हिसाब से समूहों में बांटा जाता है | मेरे माता पिता दोनों साधक हैं, इसलिए वे चाहते थे कि मैं और मेरा भाई बच्चों के शिविर में सम्मिलित
हों |
शुरू में हम सिर्फ गये, ध्यान करने के हिसाब से नहीं, ईमानदारी से कहूँ तो सिर्फ अपने माता पिता के कहने के कारण | एक सोलह वर्ष की लड़की होने के कारण,उस समय एक घन्टे के लिए बिना आँखें खोले बैठना मुझे बहुत कठिन लगता था | कभी कभी मुझे लगता था कि ये हमें क्यूँ ऐसे कष्ट पहुंचा रहे हैं ? हा हा हा…..!
मगर धीरे धीरे, जैसे जैसे समय बीतता गया, मैंने ज़्यादा शान्ति, धैर्य एवं आत्मविश्वास महसूस किया | मेरी एकाग्रता काफ़ी बढ़ गयी | शुरू में ध्यान से पहले मेरे अन्दर आत्मविश्वास एवं धैर्य की कमी थी, जिससे मैं ग़ुस्सैल एवं चिड़चिड़ी थी | जैसे मैने ज़्यादा से ज़्यादा बाल शिविरों में भाग लिया, मेरी अच्छी एकाग्रता के कारण परीक्षा में बेहतर नम्बर आने लगे | इसके कारण मुझ में आत्मविश्वास आने लगा |
एक दिन मेरे माता पिता ने मुझे दस दिवसीय शिविर में जाने का सुझाव दिया | बड़ी ख़ुशी से मैंने भाग लिया एवं सभी नियमों का बहुत अच्छे से पालन किया | मैं आश्चर्यचकित हुई, इसके द्वारा मुझ में बहुत बदलाव आये जिन्हें मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती | मेरे माता पिता और भाई मुझसे बहुत ख़ुश हैं | और अब मैं विदेश में पढ़ती हूँ इसलिए मुझे अकेले रहना पड़ता है और इस समय, क्या सही है और क्या ग़लत, यह समझने में यह ध्यान-विधी मेरी मदद करती है | इसके द्वारा दिए आत्मविश्वास के कारण मैं लोगों से अच्छी तरह संवाद कर पाती हूँ | इससे मैं उनकी समस्याएँ और भावनाएँ समझ पाती हूँ |
मुझे लगता है सबको, विशेषत: किशोर एवं युवावर्ग को ध्यान करने ज़रूर जाना चाहिए ताकि एक बेहतर व्यक्तित्व बना सकें और बेहतर ज़िंदगी जी सकें |
- चित्रा वर्मा
म्यांमार की लड़कियाँ
मैं आठ साल की थी जब धम्म जोती, यांगों में, १९९६ में गोयंकाजी द्वारा दिए गए पहले आनापान-सति शिविर में मैंने भाग लिया था | तब से, मैंने अपने सभी बाद के शिविरों में यहीं भाग लिया है: १ दिवसीय, २ दिवसीय, ३ दिवसीय. हमने आनापान-सति का अभ्यास किया और हम छोटे समूह में चर्चा करते थे, जो मेरे जीवन में बहुत लाभदायी रहा |
शिविर की पूर्व चर्चा में जब हमे गोयंकाजी, हमारे वर्तमान शिक्षक और शिक्षकों की वंशावली के बारे में पता चला, तब हम प्रेरित हो गए | सयाजी ऊ बा खिन, साया थेटगी, आदरणीय लेडी सायाड़ो और बुद्ध, जो निर्वाण को प्राप्त हुए तथा जिन्होंने आनापान-सति की तकनीक को सिखाया था | हमारे पास पांच नैतिक मूल्यों का पालन करने का
अवसर था |
छोटे समूहों में हमने चर्चा की कि धम्म क्या है (प्रकृति की सच्चाई या कुदरत का कानून), और महान व्यक्तियों के सद्गुण क्या हैं | इसने हमें ध्यान हॉल में ग्रुप प्रैक्टिस में आनापान-सति के परिश्रमपूर्वक अभ्यास के लिए प्रेरित किया | इस शिविर ने हमें अपना रास्ता दिखाया है, ताकि हम एक सुखी जीवन जी सकें और दूसरों को भी खुश कर सकें | हमने मैत्रीभाव और करुणा महसूस की, आचार्य और सहायकों के प्रति, जो बहुत ही अच्छे और दयालु थे और हमें शिक्षा को समझने में मदद करते थे |
मैं हर सुबह और शाम दस मिनट अभ्यास करती हूँ ताकि गोयंकाजी द्वारा दिए गए बीज, पौधे के रूप में उग आएँ और बड़े पेड़ में परिवर्तित हो जाएँ और मेरे जीवन में फल, फूल और छाया दे सकें |
आनापान सति के अभ्यास से मुझे मिले लाभ:
- नवे लेई को को (सोलह वर्ष की आयु में नवे लेई को को, सभी छह विषयों में डिस्टिंक्शन के साथ मैट्रिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुइ | सत्रह वर्ष की आयु में, उन्होंने सफलतापूर्वक अपना पहला १० दिवसीय विपश्यना शिविर किया, और दूसरा विपश्यना शिविर अठारह वर्ष की आयु में किया | वह अब इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसिन, यांगों में मैडिसिन पढ़ रहीं हैं और एमबीबीएस के दूसरे वर्ष में अध्ययन कर रहीं हैं |)
जोगजकार्ता गतिविधि की अवधि |
जब मन में व्याकुलता होती है, डर लगता है, गुस्सा, उदासी, आदि, हम कुछ समय के लिए आनापान के साथ ध्यान कर सकते हैं और यह मन को शांत करने और इसे निर्मल करने में मदद करेगा
- एक युवा, जकार्ता, जनवरी २०१०
मैं जान सकता हूँ कि मेरे मन में क्या है | यह बहुत उपयोगी है क्योंकि फिर हम अपने मन के गुलाम नहीं होंगे
- एक युवा, जकार्ता, जनवरी २०१०
एक युवा शिविर जकार्ता दिसंबर २००९ से प्रतिक्रिया:
जकार्ता में शिविर, इंडोनेशिया
हेयफोर्ड, ब्रिटेन में विपश्यना केंद्र के किशोर
ध्यान एक विशेष सुविधा का क्षण है जहाँ हर एक व्यक्ति शोर से बहुत दूर शांति में प्रवेश करता है, हर चीज से दूर! विशेष रूप से ऐसी प्रशान्ति, जीवन में शायद ही मिलती है | जीवन एक नदी जैसा है, जो हर कोई साफ़ नहीं कर पाता, बल्कि सिर्फ ध्यान के शिविर में ही निर्मल कर पता है | यह कभी-कभी शांतिपूर्ण होता है, कभी-कभी व्याकुलता पैदा करता है, कभी-कभी धुंधला तो कभी-कभी अंधेरा होता है | मन हमेशा सभी प्रकार के विचारों से अतिभारित होता है | ध्यान भटकने वाले मन को काबू में लेने का एक शानदार तरीका है | यह क्रोध और उदासी के लिए भी एक उपचार है |
- एक लड़का, १३ वर्ष की आयु
जब मैंने पहली बार शिविर शुरू किया तो मुझे थोड़ा कठिन लगा, लेकिन जैसे जैसे शिविर में प्रगति हुई, मुझे आसान लगने लगा | अधिकांश लोगों को लगता है कि ध्यान वास्तव में आसान है, क्योंकि आप फर्श पर बैठकर कुछ भी न करने का अभ्यास करते हैं, लेकिन यही वह जगह है जहाँ वे गलत हैं, क्योंकि यह आपके लिए सबसे मुश्किल चीजों में से एक है | आपको हर समय अपनी सांस पर ध्यान देना होता है | यह मेरा धम्म दीपा में तीसरा समय है (मैं पहले विद्यालय के शिविर और फिर एक सप्ताहांत शिविर में आया था) और मैं वास्तव में यहां आने का आनंद उठाता हूँ क्योंकि मैं बहुत अधिक शांत और आराम से रहता हूँ | मेरे जीवन में मैं अधिक शांति महसूस करता हूँ और मेरे माता-पिता ने टिप्पणी भी की है कि मेरा दृष्टिकोण कैसे बदल गया है | जब मैं ध्यान करता हूं तो मुझे लगता है जैसे मैं कमरे में एकमात्र व्यक्ति हूँ | मैं बहुत आतुरता से भविष्य में यहाँ आने का इंतजार कर रहा हूँ, क्योंकि मैं और भी शांत हो सकता हूँ !
- ब्रिटेन से लड़का
जर्मनी में गतिविधि अवधि
जैसे मैं अपने परिवार के किसी सदस्य से नाराज हो जाता हूँ, तो मैंने जो सीखा है उसका उपयोग कर सकता हूँ | या जब मैं अपने स्कूल का काम कर रहा होता हूँ, तो मुझे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है |
- रेचेल टोनीन
मुझे पिज़्ज़ा बहुत पसंद आया, हालांकि उनके पास मशरूम पिज्जा नहीं था | आखिरकार मैंने १० मिनट के लिए ध्यान किया, जब मैं मेरी सांस के बारे में जागरूक था | मुझे सुबह व्यायाम/शारीरिक गतिविधि के अंतर्गत तालाब के चारों ओर घूमना पसंद आया | मैंने आम तौर से अधिक सहनशील होना सीखा |
कैनाडा (ऊपर), और कैलिफ़ोर्निया और वाशिंगटन किशोर (नीचे) में किशोर शिविर
धम्म रश्मी, क्वीन्सलैंड में ध्यान कक्ष
इस शिविर ने मुझे तनावमुक्त, शांतिपूर्ण और सुखपूर्वक रहना सिखाया है | मैंने ध्यान अभ्यास का आनंद लिया, जिससे मुझे ध्यान करने में सहायता मिली | यह शिविर बच्चों को करना चाहिए, ध्यान में सहायता मिलने के लिए और उन्हें विकसित करने के लिए, जो उनके जीवन में उन्हें मदद करेंगे | यह शिविर बहुत उपयोगी था |
- डायना, १६ वर्ष की आयु
मैं ध्यान को गहराई से समझ पाया हूँ और साथ ही मेरी एकाग्रता में सुधार हुआ है | मुझे आनापान सीखने में मज़ा आया क्योंकि इसे आसान चरणों में विभाजित किया गया था | यह शिविर करने के बहुत फायदें हैं | मूलत: आप खुद के बारे में अच्छा महसूस करने लगते हो और आपका नज़रिया ज्यादा सकारात्मक हो जाता है | मुझे और दूसरे बच्चों को इस शिविर में शामिल होने दिया इसलिए आपका शुक्रिया |
- उडान, उम्र १४
क्वीन्सलैंड में ब्रेक टाइम
मुझे लगता है कि अब मैंने अपने मन पर अधिक नियंत्रण पा लिया है | मुसीबत आने पर मैंने अपने आपको शान्त करने का तरीका सीख लिया है | गोयंका जी को सुनते हुए मुझे ध्यान करने में मज़ा आया | बस जाओ, तुम निश्चित रूप से आनन्द का अनुभव करोगे |
- रूबी, उम्र, १४
मैने दैनिक जीवन में सरल तकनीकों का प्रयोग करना सीखा है और मुझे उम्मीद है कि मेरी एकाग्रता बढ़ेगी | यहाँ की सीख काफ़ी गहरी है | शिविर में ध्यान केन्द्रित करने के लिए आपको प्रोत्साहित करती है | यह अपनी योग्यता बढानें एवं अपने व्यक्तित्व को विकसित करने का एक शानदार मौक़ा है | मैं इसकी ज़ोरदार सिफ़ारिश करूँगा | यह दिन बहुत ही ज्ञानवर्धक रहा जिसके लिए सभी व्यवस्थापकों को धन्यवाद |
- कसून उम्र १६ साल
मुझे लगता है कि इस व्यस्त ज़िंदगी में ध्यान बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह हमारे मन को संतुलित बनाए रखने में सहायक होता है और समुचित रूप से काम करने में हमारी मदद करता है |
इथियोपिया और केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका से तस्वीरें
कृपया देखें www.dhamma.org/hi/index