विपश्यना केंद्र और गैर-केन्द्रों पर शिविर ८ वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए लगाये जाते हैं और उन्हें आनापान ध्यान का परिचय दिया जाता है, जो मन को एकाग्र करने के लिए स्वाभाविक सांस के अवलोकन का एक अभ्यास है | इस पद्धति का किसी भी समय, किसी भी जगह, सभी के द्वारा स्वतंत्र रूप से अभ्यास किया जा सकता है | इसका सभी जातियों, समुदायों और धर्मों के लोगों द्वारा अभ्यास किया जाता है और सभी के लिए समान रूप से लाभकारी साबित होता है |
बच्चों का शिविर स्पेन में
आनापान के अभ्यास शुरू करने वाले बच्चों ने कई लाभों का एहसास किया है | ध्यान एकाग्र करने की उनकी क्षमता बढ़ती है, उनकी स्मृति तेज हो जाती है, एक विषय को समझने की उनकी क्षमता में सुधार होता है और वे शांत हो जाते हैं | सामान्य तौर पर, उन्हें लगता है कि उनके पास किसी भी तरह की प्रतिकूल परिस्थिति या चुनौती का सामना करने के लिए एक व्यावहारिक साधन है |
शिविर के दौरान छात्रों को कई गतिविधियों के लिए अपनी उम्र के अनुसार अलग अलग समूहों में विभाजित किया जाएगा | उनके साथ स्वयंसेवी सहायक होंगे, जो पूरे शिविर में आवश्यकतानुसार उनकी सहायता और देखभाल करेंगे |
मलेशिया विपश्यना केंद्र में वृक्षारोपण
शिविर का उद्देश्य गंभीर है | यह उन बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है जो बहुत छोटे हैं या निर्देशों का पालन करने या संगठित, स्वयं-नियंत्रित गतिविधियों में भाग लेने में असमर्थ हैं | यह उन बच्चों के लिए भी उपयुक्त नहीं है जो दैनिक समय सारिणी का अर्थ या उद्देश्य समझने में असमर्थ हैं या शिविर संबंधी अनुशासन का पालन करने में असमर्थ हैं | शिविर में भाग लेने के लिए बच्चों को नैतिक आचार संहिता का पालन करना है | आवास क्षेत्र में, ध्यान कक्ष में और शिविर के दौरान लड़के और लड़कियों का अलगाव हर समय बनाए रखा जाएगा |
एक इंग्लैंड के शिविर में लड़के
यह आवश्यक नहीं है कि शिविर के दौरान एक पालक या अभिभावक बच्चे के साथ आये | यदि यह शिविर विपश्यना केंद्र में है तो पालक या अभिभावक, जो गोयन्का जी या उनके सहायक आचार्यों के छात्र हैं, उनका आम तौर पर स्वागत हैं और वे इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं | पालक या अभिभावक, जो शिविर में मदद नहीं कर रहे हैं, उनका एक अलग कार्यक्रम रहेगा |
पालक या अभिभावक जिन्होंने एक दस दिवसीय शिविर गोयन्का जी या उनके सहायक आचार्यों के साथ नहीं किया है, वे बच्चों के साथ पंजीकरण के समय रह सकते हैं, पर बाद में उनको शिविर स्थान से जाना होगा और शिविर समापन के समय ही आना होगा |
आनापान सीखने के लिए, योग्य शिक्षक के मार्गदर्शन में एक आनापान शिविर लेना आवश्यक है |
प्रशिक्षण के लिए तीन चरण हैं:
शील
पहले चरण में बच्चे हर तरह के हानिकारक कार्यों से दूर रहने का सचेत प्रयास करते हैं | वे पांच नैतिक व्रतों का पालन करते हैं: हत्या, चोरी, झूठ, दुर्व्यवहार और मादक पदार्थों के इस्तेमाल से विरत रहने का अभ्यास करना | इन उपदेशों का पालन अगले चरण में आगे बढ़ने के लिए मन को पर्याप्त रूप से शांत करता है |
समाधि
इसके बाद वे आनापान ध्यान सीखते हैं और उसका अभ्यास करते हैं - सांस पर ध्यान केंद्रित करना जैसे कि वह अन्दर आती है और बाहर जाती है, अपने स्वाभाविक रूप से |
मैत्री भाव / करुणा
इस शिविर में मैत्री भाव / मेत्ता (सभी के लिए दया का भाव या मंगल कामना) के अभ्यास के साथ समाप्त होता है जिसमें शिविर के दौरान प्राप्त शांति और खुशी सभी प्राणियों के साथ बांटी जाती है |
इन सभी शिविरों में संपूर्ण शिक्षा स्थानीय भाषाओं में ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से दी जाती है | हर एक शिविर को ३० - ४० मिनट के छोटे सत्रों में विभाजित किया जाता है जिसमें साधना विधि का अभ्यास और सिद्धांत की समझ शामिल है | जहां जहां समय हो, शिविर में रचनात्मक और शारीरिक गतिविधियों को भी शामिल किया जाता है | साधना विधि के अभ्यास के लिए अधिक समय निर्धारित किया गया है |
तकनीक के सच्चे लाभ पाने के लिए अभ्यास की निरंतरता आवश्यक हैं | इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि शिविर के बाद प्रत्येक दिन १० से १५ मिनट की छोटी अवधि के लिए आनापान का अभ्यास जारी रखने के लिए बच्चे को घर पर अवसर दिया जाये | और अधिक शिविरों में भाग लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा सकता है |
शिविर में भाग लेने की लिए आयु सीमा और शिविर की लंबाई भिन्न भिन्न होती है | अपने क्षेत्र के शिविरों की सूची के लिए, कृपया शिविर तिथियाँ अनुभाग देखें, आवश्यक दिनांक चुनें और अपने बच्चे को आवेदन पत्र भरने के लिए कहें | आपको पालक / अभिभावक आवेदन भी भरना चाहिए |
शिविर के लिए आवेदन करने से पहले, कृपया सुनिश्चित करें कि आप और आपके बच्चे ने आचार संहिता और नमूना समय सारिणी को पढ़ लिया है और समझ लिया है |
कृपया देखें www.dhamma.org/hi/index