शिविर समीक्षा
आनापान
आनापान सति एक
पाली शब्द है, जिसका अर्थ:
आन = अन्दर आने वाली सांस,
अपान = बाहर जाने वाली सांस,
सति = सजगता;
अर्थात आने वाली और जाने वाली
सांस के प्रति
जागरूकता |
ध्यान विधि
- कमर और गर्दन सीधी रखते हुए आराम से बैठें |
- आँखे हलके से बंद रखें |
- अपने चश्मे निकालें | (जो पहनते हैं, उनके लिए सूचना)
- मुंह भी बंद रखें |
- सारा ध्यान नासिका के द्वारों पर केन्द्रित करें |
- स्वाभाविक सांस जैसे आती है और जैसे जाती है, उसके प्रति जागरुक रहें |
- सांसों को गिनने या नियंत्रित करने की कोशिश न करें |
- किसी प्रकार का शब्द, आकृति या कल्पना को सांस से न जोड़ें |
- जब जब मन भटके उसे सांस की जानकारी पर वापस ले आयें |
पूरी कोशिश रहे कि हर एक आने वाली और जाने वाली सांस की जानकारी बनी रहे |
फायदे
- मन की एकाग्रता बढ़ती है |
- मन की सतर्कता और जागरूकता बढ़ती है |
- मन पर काबू पाना आसान हो जाता है |
- स्मरणशक्ति तीक्ष्ण हो जाती है |
- निर्णय क्षमता बढ़ती है |
- आत्मविश्वास बढ़ता है |
- व्याकुलता, भय, घबराहट और तनाव कम होते हैं |
- काम और अभ्यास की क्षमता बढ़ती है |
- ग्रहण शक्ति और अभिव्यक्ति में बढ़ोत्तरी होती है |
- मन स्वस्थ, पुष्ट और मजबूत होता है |
- दूसरों के प्रति मन में मैत्री भाव जागृत होता है |
इस साधना से पूरा लाभ पाने के लिए दिन में दो बार १० से १५ मिनिट ( सुबह और शाम ) ध्यान करना आवश्यक है |
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शील : ५ नियम
शील का अर्थ है, शरीर और वाणी के स्तर पर सभी निकम्मी बातों से विरत रहेंगे, जैसे
- जीव-हत्या से विरत रहेंगे |
- चोरी से विरत रहेंगे |
- अब्रह्मचर्य (मैथुन) से विरत रहेंगे |
- असत्य-भाषण, निकम्मी बातें या चुगली से विरत रहेंगे |
- नशे के सेवन से विरत रहेंगे |
मैत्री भावना
मैत्री भावना का अर्थ है करूण चित्त से पुण्य वितरण
- मै सुखी रहूँ, शांत रहूँ |
- मेरी माता सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरे पिता सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरे भाई बहन सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरी कक्षा के सभी सहपाठी सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरी पाठशाला के सभी सहपाठी सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरे पडौसी सुखी रहें, शांत रहें |
- मेरे देश के सभी लोग सुखी रहें, शांत रहें |
- दुनिया के सभी लोग सुखी रहें, शांत रहें |